कृष्ण चैतन्य का अर्थ
[ kerisen chaiteny ]
कृष्ण चैतन्य उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- बंगाल के एक प्रसिद्ध वैष्णव महात्मा:"चैतन्य घूम-घूमकर प्रभु लीला का वर्णन करते थे"
पर्याय: चैतन्य, चैतन्य महाप्रभु, चैतन्य प्रभु, कृष्णचैतन्य, गौरांग महाप्रभु, गौड़ेश्वर
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- उनका नाम बदल कर कृष्ण चैतन्य कर दिया।
- उनके दीक्षा गुरु केशवभारती ने उनका नाम बदल कर कृष्ण चैतन्य रखा।
- कृष्ण चैतन्य , केरल के कला मंदिर: एक दक्षिण भारतीय परंपरा (अभिनव प्रकाशन, 1987,
- श्री कृष्ण चैतन्य था , आज तक वैष्णव सम्प्रदाय उनके ही कलियुग का अवतार मानता है।
- कार्यक्रम को रामरेखा बाबा , बुधुवा खड़िया , महंत उमाकांत दास , स्वामी कृष्ण चैतन्य जी आदि ने भी संबोधित किया।
- सन १५१० में संत प्रवर श्री पाद केशव भारती से संन्यास की दीक्षा लेने के बाद निमाई का नाम कृष्ण चैतन्य देव हो गया।
- पंडित भगवान दास पैलेस में चल रहे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में तीसरे दिन गौरांग लीला के तहत कृष्ण चैतन्य नें लोगों को प्रेमभक्ति की भावना जागृत की।
- सन १ ५ १ ० में संत प्रवर श्री पाद केशव भारती से संन्यास की दीक्षा लेने के बाद निमाई का नाम कृष्ण चैतन्य देव हो गया।
- वहीं देर सांय श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु मन्दिर से सनातन गोस्वामी की झाँकी के साथ महन्त तुलसीदास एवं अन्य सन्तों ने भी सिर का मुण्डन कराकर गिरिराज परिक्रमा लगायी।
- मध्य में श्री कृष्ण चैतन्य ( मध्य), श्री नित्यानंद प्रभु (नीले वस्त्र में), श्री अद्वैताचार्य (दाड़ी वाले), श्री गदाधर पंडित (पर्पलधोतीमें), श्री श्रीवास पंडित (केसरिया धोती एवं सिर मुंडा हुआ) शोभित हैं।